Sunday, November 3, 2013

क्या है सरगम?

‘बजे सरगम हर तरफ से…’ कितनी ही बार दूरदर्शन पर इसे हमने सुना होगा. लेकिन क्या हमें पाता है की ये सरगम क्या है? क्या होता है तीव्र और कोमल स्वर? आईये आज जानते है.
संगीत के सात स्वर है ये सभी जानते है. जो है- षङज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद. इन्ही नामो के पहले अक्षर से सा रे गा मा लिया गया है. ये सभी शुद्ध स्वर माने जाते है.इनमे स और प अचल माने जाते है क्योंकि ये अपनी जगह से जरा भी नहीं हटते. बाकी पांच स्वरो को विकृत या विकारी स्वर कहते है जो अपने स्थान से हट सकते है. जब स्वर अपने स्थान से थोड़ा नीचे खिसकता है तो वह कोमल स्वर हो जाता है. और अगर ऊपर खिसकता है तो वह तीव्र स्वर हो जाता है. रे ग ध नि जब नीचे खिसकते है तो कोमल बन जाते है. और म ऊपर पहुँच कर तीव्र हो जाता है. इस तरह सात शुद्ध स्वर, चार कोमल स्वर, और एक तीव्र स्वर, कुल मिला कर बारह स्वर तैयार होते है जिन्हें सरगम कहा जाता है.
शुद्ध स्वर- सा रे ग म प ध नि सा
कोमल स्वर- सा रे ग म प ध नि सा
तीव्र स्वर- सा रे गा म प ध नि सा
सप्तक
सप्तक का अर्थ होता है सात. सात शुद्ध स्वर है इसलिए यह नाम पड़ा. लेकिन ध्वनि की ऊंचाई और निचाई के आधार पर संगीत में ३ तरह से सप्तक माने गए है. साधारण ध्वनि को मध्य सप्तक करते है. यदि मध्य सप्तक से ऊपर है तो तार सप्तक और नीचे है तो मंद्र सप्तक. तार सप्तक में ध्वनि ऊँची होती है और बोलने में तालु पर जोर पड़ता है. जबकि मध्य सप्तक के स्वरों को बोलने में गले पर जोर पड़ता है. और मंद्र सप्तक में ह्रदय पर जोर पड़ता है.

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